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बुधवार, 9 सितंबर 2015

परिचित व्यक्ति के सामने कम और अनजान व्यक्ति के सामने अधिक क्यों हकलाते है ?

परिचित व्यक्ति के सामने  कम, और अनजान व्यक्ति के सामने  अधिक क्यों हकलाते है ? ;                      जिनकी गहराई बहुत ही कम होती है वे जानकर के सामने अधिक हकलाते है तथा अनजान के सामने कम। कारण यह है की जानकर के सामने तो वे उसी स्पीड  में बोलते है जिसमें वे बोलने के आदी है तथा अनजान के सामने बोलते समय वे थोड़ी सावधनी बरतते है जिससे उनकी स्पीड  कुछ कम हो जाती है इसीलिये वे वहां कुछ ठीक बोल लेते है लेकिन जिनकी गहराई अधिक होती है वे जानकर से कम तथा  अनजान से ज्यादा हकलाते है। कारण यह है कि अनजान के सामने आप हकलाहट को छिपा कर ठीक बोलना चाहते है। ठीक बोलने की सोचते ही आपका दिमाग अपनी समस्या पर आ जाता है। समस्या पर ध्यान जाने से विश्वास टूटता है ,घबराहट होती है और डर के कारण स्पीड और अधिक बढ़ जाती है और कठिन अक्षरों से संघर्ष होता है। इसतरह आप वहां अधिक हकलाते है इसीलिये आप जहां भी बिशेष ठीक बोलना चाहते है वही अधिक हकलाते है। टिकिट खिड़की तथा अधिक लोगों की भीड़ इटरव्यू में बोलते समय अधिक हकलाते है तथा अपनी बात सामने वाले को ठीक प्रकार से समझा नही पाते है। अपनी बात शीघ्रता से खत्म करना चाहते है।कम समय तक बात करना चाहते है। जानकार के सामने आप इतना ज्यादा ठीक बोलने कि कोशिश नही करते। वहां आपके दिमाग में रहता है कि यह तो अपनी समस्या को जानते ही है। ऐसे माहौल में कठिन अक्षरों पर ध्यान कम जाता है। इसीलिये जानकार के सामने आप कम हकलाते है। 

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